मंगल देव की कथा: शक्ति और साहस के देवता मंगल देवता की कथा हिंदू धर्म में साहस, बल और ऊर्जा का प्रतीक है। मंगल को नवग्रहों में से एक प्रमुख ग्रह माना जाता है, हिंदू धर्म में मंगल ग्रह को मंगल देव के रूप में पूजा जाता है। वे शक्ति, पराक्रम, आत्मबल और युद्ध कौशल के देवता माने जाते हैं। मंगल ग्रह को संस्कृत में “भौम” भी कहा जाता है, क्योंकि इनका जन्म पृथ्वी माता (भूमि देवी) से हुआ था।
और यह भगवान शिव के पुत्र माने जाते हैं। मंगल ग्रह का जन्म और उसकी शक्तियों की कथा अत्यंत रोचक है। मंगल देव, जिन्हें शक्ति और साहस का देवता माना जाता है, श्रावण 2025 में इनकी पूजा से जीवन में मिलता है श्रावण मास 2025 में मंगल देव की पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है। मंगलवार के दिन यदि भक्ति भाव से मंगल देव का पूजन किया जाए, तो ग्रह दोष दूर होते हैं और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है। आत्मबल और संकटों से मुक्ति। पढ़िए उनकी रोचक कथा और जानिए पूजन विधि।
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मंगल देव की कथा – मंगल देव का जन्म
मंगल देव की कथा पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव ध्यान में लीन थे। उस समय एक तेजस्वी शक्ति पृथ्वी पर गिरी, जिसे देखकर भूमि देवी ने उस तेज को अपने गर्भ में धारण कर लिया। कालांतर में उसी से एक लाल वर्ण के तेजस्वी बालक का जन्म हुआ — यही थे मंगल देव।
इनका रंग लाल, स्वभाव उग्र और ऊर्जा अत्यधिक है। इन्हें युद्ध कौशल में दक्ष माना जाता है और इन्हें कुमार कार्तिकेय का सहयोगी भी कहा गया है। इनकी सवारी मेष (भेड़) है और इनकी दिशा दक्षिण मानी जाती है।पुराणों के अनुसार, मंगल ग्रह का जन्म भगवान शिव के पसीने से हुआ था। जब शिव जी तपस्या में लीन थे, तो उनके शरीर से एक बूंद पसीना पृथ्वी पर गिरा। उस पसीने से एक तेजस्वी बालक का जन्म हुआ। यह बालक अद्वितीय शक्ति और तेज से भरा हुआ था। इस बालक को पृथ्वी का पुत्र माना गया और इसका नाम “मंगल” रखा गया।
मंगल ग्रह को “भूमिपुत्र” भी कहा जाता है क्योंकि यह धरती से उत्पन्न हुए हैं। मंगल देव ने अपनी शक्ति, साहस और पराक्रम के बल पर देवताओं के बीच महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। उन्हें योद्धाओं और साहसिक कार्य करने वालों का संरक्षक माना गया।
मंगल देव की कथा – मंगल देवता की भूमिका
मंगल देवता को साहस, शक्ति, ऊर्जा, और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। वे युद्ध के देवता हैं और वे लोगों को संघर्षों से जूझने की प्रेरणा देते हैं। मंगल ग्रह का व्यक्ति की कुंडली में शुभ प्रभाव होने पर वह साहसी, पराक्रमी और आत्मविश्वासी बनता है। वहीं अशुभ प्रभाव होने पर व्यक्ति को मानसिक तनाव, दुर्घटनाओं, और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
मंगल देव की कथा – मंगल दोष और समाधान
मंगल देवता से जुड़ी कथा हमें यह सिखाती है कि यदि कुंडली में मंगल कमजोर हो, तो हनुमान जी की पूजा, मंगल बीज मंत्र का जाप, और दान-पुण्य करने से इसके दोष को शांत किया जा सकता है। मंगल देवता को खुश करने के लिए लाल वस्त्र, लाल मूँग, और गुड़ का दान किया जाता है।
मंगल दोष के लक्षण और उपाय
अगर जन्म कुंडली में मंगल दोष (मंगलीक दोष) हो तो वैवाहिक जीवन में बाधाएं आती हैं। इसके उपाय के रूप में लोग:
- मंगल मंत्र का जाप करते हैं
- मंगलवार का व्रत रखते हैं
- हनुमान जी और मंगल देव की पूजा करते हैं
- केले या तुलसी विवाह कराते हैं
मंगल देव की कथा – मंगल देव की पूजा का महत्व
मंगल देवता की पूजा व्यक्ति के जीवन में साहस, ऊर्जा और सकारात्मकता लाती है। उनकी पूजा से न केवल शारीरिक और मानसिक बल बढ़ता है, बल्कि जीवन में आ रही कठिनाइयाँ भी दूर होती हैं। मंगल देवता की कृपा से व्यक्ति को भूमि, संपत्ति, और कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
मंगल देव की कथा यह दर्शाती है कि यदि हम अपने साहस और शक्ति पर विश्वास रखें और धर्म का पालन करें, तो जीवन के सभी संघर्षों को पार कर सकते हैं। मंगल देव की पूजा और उनकी कृपा से जीवन में संतुलन और सफलता आती है।
श्रावण मास 2025 और मंगल देव की कथा का महत्व
श्रावण मास शिव भक्तों के लिए सबसे पावन समय होता है। चूंकि मंगल देव भगवान शिव के अंश से उत्पन्न हुए हैं, इसलिए श्रावण में मंगलवार को मंगल देव की विशेष पूजा करने से व्यक्ति को मंगल दोष, भूमि संबंधित समस्याएं, और कर्ज से मुक्ति मिलती है।
श्रावण 2025 में मंगलवार की तारीखें:
- 📅 8 जुलाई 2025
- 📅 15 जुलाई 2025
- 📅 22 जुलाई 2025
- 📅 29 जुलाई 2025
इन तिथियों पर मंगल देव का पूजन और हनुमान जी के साथ अर्चना करना विशेष शुभ होता है।
मंगल देव की पूजा विधि (Puja Vidhi)
- मंगलवार को प्रातः स्नान कर लाल वस्त्र पहनें
- मंगल मंत्र का जाप करें –
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः - लाल फूल, लाल चंदन, गुड़ और मसूर की दाल चढ़ाएं
- हनुमान चालीसा का पाठ करें
- व्रत रखें और दिनभर सात्विक भोजन करें
- शाम को दीपक जलाकर मंगल आरती करें
मंगल देव से जुड़ा मनोवैज्ञानिक पहलू
मंगल हमारे भीतर की आत्म-शक्ति, एकाग्रता, निर्णय क्षमता और क्रोध नियंत्रण का प्रतिनिधित्व करता है। जो व्यक्ति अपनी ऊर्जा को सही दिशा में प्रयोग करता है, वही जीवन में साहसिक कार्य करता है और समाज में नेतृत्व करता है।
निष्कर्ष
मंगल देव केवल एक ग्रह नहीं, बल्कि हमारे भीतर के साहस और जोश के प्रतीक हैं। श्रावण 2025 में मंगलवार के दिन मंगल देव की पूजा करके आप जीवन की बाधाओं को दूर कर सकते हैं। ग्रह दोष हो या आत्मबल की कमी — मंगल देव का आशीर्वाद सबका समाधान है।
👉 इस श्रावण मास, मंगल देव की उपासना करें और अपने जीवन में लाएं शक्ति, साहस और स्थिरता।
इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक ग्रंथों, जनमान्यताओं और लोककथाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना है। पाठक अपने विवेक और आस्था के अनुसार इसका पालन करें। किसी भी ज्योतिषीय या स्वास्थ्य समस्या के लिए विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

