Insurance Policy Nominee Rule 2025: क्या होगा अगर पॉलिसी धारक और नॉमिनी दोनों की मृत्यु हो जाए तो जानेक्या होगा अगर पॉलिसी धारक और नॉमिनी दोनों की मृत्यु हो जाए तो जानेभारत में लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने वाले करोड़ों लोग हैं और कई वर्षों से लगातार लोग इंश्योरेंस पॉलिसी लेते आ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ इंश्योरेंस कंपनियों के पास अनक्लेम पैसे भरपूर मात्रा में पड़े हुए हैं।
उसकी वजह मुख्य रूप से लोगों का इसके प्रति जागरूक न होना और साथ ही इंश्योरेंस लेने वाले व्यक्ति और उसके नॉमिनी दोनों की मृत्यु हो जाने पर परिवारजनों को अधिक ज्ञान न होने के कारण यह पैसा इंश्योरेंस कंपनी के पास ही पड़ा रह जाता है, और उसके असली हकदार को नहीं मिल पाता है।
इस लेख के द्वारा हम आपको इस विषय के संदर्भ में पूर्ण ज्ञान, शिक्षा देना चाहते हैं अगर आप इस बारे में विस्तार पूर्वक जानना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक पढ़े।
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Insurance Policy Nominee Rule क्या होता है
आमतौर पर आप लोगों ने देखा होगा जब भी आप कोई इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हैं, तो बीमा करने वाला व्यक्ति आपसे नॉमिनी के बारे में भी पूछता है, नॉमिनी का मतलब है कि जिस व्यक्ति की इंश्योरेंस पॉलिसी हुई है अगर उसे व्यक्ति की इंश्योरेंस खत्म होने से पहले मृत्यु हो जाती है तो उसे पॉलिसी के अंदर जो नॉमिनी होता है उसे इंश्योरेंस का पैसा मिलता है।
आमतौर पर यह एक बहुत ही सरल प्रक्रिया है, लेकिन इसमें बहुत सारे बीमा धारक ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी पॉलिसीयों में नॉमिनी का उल्लेख नहीं किया हुआ है, उसकी वजह से उनके मृत्यु हो जाने या उनकी पॉलिसी मैच्योर हो जाने के बावजूद वह पैसा उनको यह उनके परिवार वार्ड जनों को मिल नहीं पाता है।
इसी वजह से इंश्योरेंस कंपनियों को अनक्लेमद पैसा अपने पास रखने का मौका मिल जाता है अतः आप सबको इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की पॉलिसी लेते वक्त उसमें स्पष्ट नॉमिनी का नाम अवश्य डलवाए।
Insurance Policy Nominee और बीमा धारक दोनों की मृत्यु होने पर क्या होता है?
जैसा कि आप सभी जानते हैं की लाइफ इंश्योरेंस लेते वक्त आपको अपने नॉमिनी का नाम देना आवश्यक है। बिना नॉमिनी के आज के समय में पॉलिसी लेना संभव नहीं है। नॉमिनी वह व्यक्ति होता है जिसको बीमा धारा की मृत्यु के बाद इंश्योरेंस का पैसा मिलता है लेकिन समस्या तब पैदा होती है जब किसी हद से या किसी वजह से पॉलिसी धारक और नॉमिनी दोनों की मृत्यु हो जाती है तो ऐसे में इरडा के नियम मुख्य अनुसार इंश्योरेंस कंपनी नॉमिनी के उत्तराधिकारी को इंश्योरेंस का पैसा दे सकती है।
लेकिन उसके लिए उत्तराधिकारी को इंश्योरेंस के नियम व शर्तों के अनुसार इंश्योरेंस की राशि का क्लेम करना आवश्यक होता है और इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसी के नियम अनुसार भुगतान कर देती है हालांकि यह काफी पेचीदा कार्य है क्योंकि कोई भी इंश्योरेंस कंपनी आसानी से पैसा देना नहीं चाहती है।
हालांकि पिछले कुछ वर्षों में सरकार के द्वारा इस संदर्भ में कड़े नियम बनाए गए हैं इसके बाद इंश्योरेंस कंपनियां इंक्लेम पैसों को उनके उत्तराधिकारियों को ढूंढ कर देने की कोशिश कर रही है।
Insurance Policy Nominee Rule कानूनी उत्तराधिकारी कैसे ले सकता है इंश्योरेंस के पैसे?
Insurance policy nominee rule के अनुसार इंश्योरेंस पॉलिसी के नोमिन के उत्तराधिकारी जैसे कि उसका बेटा बेटी या कानूनी रूप से जिसे उसे व्यक्ति ने अपने अपना वारिस बनाया गया हो वह व्यक्ति इंश्योरेंस के पैसों के लिए क्लेम कर सकता है।
इंश्योरेंस कंपनी वारिस के कागजातों की संपूर्ण जांच के बाद इंश्योरेंस के पैसे वारिस को दे देते हैं, लेकिन यह बहुत ही मुश्किल प्रक्रिया है, क्योंकि इंश्योरेंस कंपनियां अधिकतर इस मामले में बहुत टालमटोल करती रहती हैं। लेकिन सरकारी में अनुसार नियम अनुसार इंश्योरेंस कंपनियों को यह पैसा नॉमिनी के उत्तराधिकारी को कागजों तक की पुष्टि के बाद देना ही पड़ता है।
Insurance Policy Nominee Rule क्लास 1 ऑफ़ क्लास 2 लीगल वायरस क्या होते हैं?
Insurance Policy Nominee Rule सरकारी कानून के अनुसार हिंदू हिंदू उत्तराधिकार कानून के मुताबिक उत्तराधिकारियों को दो वर्गों में बांटा गया है क्लास वन रूल के मुताबिक उत्तराधिकारी वह लोग होते हैं जो पॉलिसी धारक के पति या पत्नी, पुत्र या पुत्री, पोता पोती, मां जैसे रिश्ते शामिल हैं।
क्लास 2 के मुताबिक अगर इंश्योरेंस धारक के क्लास वन वाला कोई भी रिश्तेदार जीवित नहीं है तो ऐसे में सरकारी क्लास 2 क्लास 2 में आने वाले वारिसों पर विचार किया जाता है की किस यह पैसा दिया जाए क्लास 2 के अंतर्गत भाई-बहन भतीजा भतीजी इत्यादि शामिल है।
Insurance Policy Nominee Rule निष्कर्ष
Insurance Policy Nominee Rule के मुताबिक अगर पॉलिसी धारक और उसके 9 महीने दोनों की मृत्यु हो जाती है और बीमा राशि इंक्लेम रह जाती है तो ऐसे में उसके उत्तराधिकारी यह इंश्योरेंस की राशि लेने के हकदार होते हैं वास्तविक कागज तो को इंश्योरेंस कंपनी में सबमिट करने के बाद उत्तराधिकारी को यह पैसा मिल सकता है बस थोड़ी सी जागरूकता की आवश्यकता है।
डिस्क्लेमर
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