Enemy Property Act “मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भोपाल की पाटौदी संपत्तियों को ‘Enemy Property Act’ के अंतर्गत ‘शत्रु सम्पत्ति’ घोषित कर दिया है, जिससे सैफ अली खान के करोड़ों रुपये दांव पर लगे हैं। जानिए क्या कहती है अदालत और अब आगे क्या हो सकता है?”
1. Enemy Property Act हाई कोर्ट की चौंकाने वाली रिपोर्ट

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हाल में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए भोपाल स्थित पाटौदी परिवार की संपत्तियों—जिसका अनुमानित मूल्य लगभग ₹15,000 करोड़ है—को ‘Enemy Property Act, 1968’ के अंतर्गत ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित कर दिया। यह संपत्ति अब सरकार के नियंत्रण में चली जाएगी ।
यह निर्णय 2000 में आए निचली अदालत के पाटौदी परिवार को मालिक मानने वाले फैसले को रद्द करते हुए लिया गया है, जिसमें सैफ, उनकी माँ शर्मिला टैगोर और बहनों सोहा-सबा को वारिस माना गया था ।
2. न्यायिक प्रक्रिया: फिर से शुरू होगी सुनवाई
HC ने पिछले आदेश को रद्द कर केस को पुन: निचली अदालत (ट्रायल कोर्ट) में भेज दिया है। अदालत ने निर्देश दिया है कि यह निर्णय एक साल के अंदर निपटाया जाए ।
25 साल पुराने इस संपत्ति विवाद में, पाटौदी परिवार और अन्य वंशज ‘Muslim Personal Law Act, 1937’ के तहत विभाजन चाहते हैं, जबकि सरकार ‘Enemy Property Act’ के दायरे में यह प्रक्रिया आगे बढ़ा रही है ।
3. Enemy Property Act – क्यों बन जाता है कानून?
‘Enemy Property Act’ वर्ष 1958 में लागू किया गया था और 1965 तक इसका दायरा बढ़ाया गया। इसके अंतर्गत पाकिस्तान या चीन चले गए व्यक्तियों की संपत्ति सरकार जब्त कर सकती है ।
इस मामले में, सैफ के पूर्वज नवाब हमीदुल्ला खान की बड़ी बेटी अबीदा सुल्तान ने विभाजन के दौरान पाकिस्तान का दामन थाम लिया था। इसी के आधार पर पूरे पाटौदी परिवार की संपत्ति ‘शत्रु संपत्ति’ के दायरे में आ गई ।
4. संपत्तियों की यादी
भोपाल में ये प्रतिष्ठित वसीयतें शामिल हैं:
Flag Staff House , Noor-Us-Sabah Palace, Dar-Us-Salaam, Habibi Ka Bangla, Ahmedabad Palace, Kohefiza Property ।
ये ऐतिहासिक इमारतें 100 साल से अधिक पुरानी हैं, जिनका भावनात्मक और सांस्कृतिक मूल्य भी कम नहीं।
5. सैफ की प्रतिक्रिया व भावनात्मक जुड़ाव
सैफ ने मीडिया में कहा था कि इन प्रॉपर्टीज़ का भावनात्मक महत्व ‘अमूल्य’ है और उन्होंने किसी होटल चेन से इसे लेने की अफवाहों को ‘अमूल्य अतिशयोक्ति’ बताया था ।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि इस लड़ाई का उद्देश्य आर्थिक लाभ नहीं, बल्कि परिवार की विरासत को बचाना है, क्योंकि उनकी दादाजी नवाब की समाधि वहीं हैं।
6. अगले चरण – क्या होगा अब?
HC ने प्रोसेस को ट्रायल कोर्ट में भेज दिया है और वहाँ एक साल के अंदर नई सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है।
सैफ और परिवार को 30 दिन का समय दिया गया था दावा पेश करने के लिए, लेकिन वे समय पर सामने नहीं आए । अगर उनकी याचिका स्वीकार होती है, तो संपत्ति उन्हें वापस मिल सकती है, अन्यथा सरकार कब्जा कर लेगी।
इस फैसले का नतीजा सिर्फ आर्थिक ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और भावनात्मक विवाद भी है क्या आपको लगता है कि सैफ अली खान और उनका परिवार अपनी विरासत को बचा पाएगा? आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं? अपनी राय कमेंट सेक्शन में जरूर लिखें।
नोट: जानकारी मुख्य रूप से Madhya Pradesh High Court के ताजी सुनवाई, हाई कोर्ट के आदेश और Enemy Property Act के सन्दर्भों पर आधारित है, जिसमें सैफ अली खान, उनकी फैमिली और उनकी भावनाएं भी शामिल हैं